स्वरचित हिन्दी कविताएँ -
बकरी का बच्चा
छोटा सा बकरी का बच्चा
एक भेड़िया दौड़ा आया
देख उसे फूला न समाया
बोला तुमको खा जाऊंगा
भूखा हूँ दावत पाउँगा
काँप गया बच्चा बेचारा
बोला आज गया मै मारा
बच्चा था गर्दिश का मारा
उसने यह तरकीब लगाई
मुझे सुना दो अपना गाना
फिर मुझको खा जाना
हँसा भेड़िया ज्यों मुँह खोला
ऊँचे स्वर ज्यों ही बोला
आते कुत्ते पड़े दिखायी
हुआ भेड़िया नो दो ग्यारह
बच्चे की चल गई चतुराई
जिसने उसकी जान बचाई |
- S.S. BHADOURIAइस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि -
हमे हमेशा हिम्मत से काम लेना चाहिए |
Nice poem
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