Tuesday, 14 August 2018

सकठ चौथ की कहानी | सकट चौथ की कथा | Sakat chauth story | Story of Sakat Chauth | सकट चौथ (तिल चौथ, तिलकुट चौथ, माही चौथ) | Til Chauth, Tilkut Chauth, Mahi Chauth

|| सकठ  चौथ की कहानी  ||

एक थी देवरानी एक थी जिठानी। देवरानी बड़ी गरीब थी और जिठानी बहुत धनी थी। देवरानी क लड़का जिठानी के घर में काम करता था। एक दिन आया सकठ का त्योहार। उसमे देवरानी जिठानी दोनों ने पूजा करी लीपा , पोता ,अपने -अपने घरों की साफ़ -सफ़ाई करी और व्रत रक्खा। जिठानी के पास सब कुछ था ,पूजा -पाठ के लिए देवरानी बिचारी खेंत गयी और वहाँ से मेड़हा के फूल तोड़ लायी और उसी के लड्डू शकरकन्द सब कुछ बनाया ,बना के पूजा करी सकठ माता को भोग लगायी खुद खायी बच्चों को खिलाई अपने आदमी को खिलायी और सब लोग खा - पीकर सो गये। बारा बजे रात को सकठ माता आयी और उनका दरवाज़ा खटखटाया ,बोली खोल किमाडा ,देवरानी बोली मइया टूटहा टटवा है एक लात मारो अन्दर आ जाओ सकठ माता एक लात मारीन अन्दर आ गयी और बोली गरीबनी हम बहुत भूखी हन कुछ है खाने को।  माता का है मेड़हा के फूल लाई रहन वही हम लोग खाये हैं वही रक्खे हैं ,लेव तुम भी खा लेव सकठ माता लडडू खायेन  खा पीके कहेन की हमको टट्टी आयी है। गरीबनी बोली महरानी करो सारा घर पड़ा है ,पूरे घर मा सोना-सोना टट्टी करी बोली अभी और टट्टी आयी है ,तो कहेन महरानी हमरे ऊपर से कर लेओ ,ऊपर से भी सोना-सोना टट्टी करेन। अब सबेर भा भाई उई लग गई रक्खै-उठावै मा अब जिठानी खिब जाये का उनके लड़िका का देर ह्वैगे, जिठानी आयी दौड़ी-दौड़ी कहे आज लरिकवा का नहीं भेजेव देवरानी बोली अरे भेजन का सकठ माता आयी रहै हमका कुछ दे गयी है वहै धरी-उठा रही हन, अब न अयी लड़िकवा। धीरे-धीरे जिठानी पूछेन का कीन तेऊ, का कीन रहै पूजा ,वही मेड़हा के फूल लाई रहन वही खावा वही सकठ माता का खवावा। अब साल भर उनका जैसे-तैसे कटा, दूसरे साल जब सकठ चौथ आयी तब वऊ गयी खेत से मेड़हा के फूल, शकरकन्दी सब लायी लाके देवरानी की तरह करीन पूजा, बारा बजे रात को सकठ माता आयी कहेन गरीबनी खोल किमाडा, अरे टटवा लाग है एक लात मारेन अन्दर आगयी कहेन भूखी हन का है महरानी वही मेड़हा के फूल लायी रहन वही के लड्डू बनावा है वही खावा है वही धरे है वही तुमहू खा लेव सकठ माता खाके कहेन अब हमको टट्टी आयी हैं। कहेन करो महरानी पूरा घरै पड़ा है।  पूरे घर मा टट्टी-टट्टी करेन कहेन और आयी है ,हमरे ऊपर से कर लेव उनके उपरौते टट्टी-टट्टी करेन। अब सबेर भा तो अपनी देवरानी का खूब गरीयावै, पता नहीं का कीन तेइसी का बतायेस घर भरे मा टट्टी-टट्टी छवैगै कहानी रहै तो खतम।    

No comments:

Post a Comment