कीर्तन
जिन्दगी वक्त के साथ है वक्त के साथ चलना पड़ेगा
जिन्दगी वक्त के साथ है वक्त के साथ चलना पड़ेगा ...
वक्त चाहे जिस वक्त तो पत्थर को पिघलना पड़ेगा
जिन्दगी वक्त के साथ है वक्त के साथ चलना पड़ेगा ...
वक्त आया हरिश्चन्द्र पर डोम घर जाके पानी भरा
वक्त पे रावण ऐसा बली राम के हाथो लड के मरा
वक्त था राम बन-बन फिरे वक्त पे फिर सम्हलना पड़ेगा
जिन्दगी वक्त के साथ है वक्त के साथ चलना पड़ेगा ...
वक्त पे लूट गयी गोपियाँ वक्त से बच निकलना पड़ेगा
सती वृन्दा अहिल्या सभी वक्त कारण गयी थी छली
वक्त पे हो बुरा या भला वक्त के संग बदलना पड़ेगा
वक्त पे धर्म धीरज धरो वर्ना चिन्ता पे जलना पड़ेगा
जिन्दगी वक्त के साथ है वक्त के साथ चलना पड़ेगा ...
By - S.S.Bhadouria
By - S.S.Bhadouria
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