कविता
गुब्बारे वाला
नन्हें-मुन्हें बालकों के कानों में
जब पड़ती वो बाँसुरी की मधुर राग ,
घर के जिस भी कोने में
लुके हों वो नटखट से सैतान ,
फिर देखो उनके छोटे-छोटे कदमों की वो थिरक चाल।
माँ-बाबा को मनाना है बस वो गुब्बारा पाना है ,
न करेंगे कोई सैतानी ,
ओ माँ वो देखो गुब्बारे वाला आया है।
होगी आपकी हर आज्ञा पूरी ,
ओ बाबा बस वो गुब्बारा पाना है।
By - A.S.
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