लोक गीत
| | कोई देखिए गम खाय के | |
कोई देखिए गम खाय के गम खानी चीज़ बड़ी है
गम तो खाया विभिषण भाई
हनुमत से कर लिया मित्राई छिन में लंका कोटि जलाई
सरासोत मँगवाय के गलियन में शिला पड़ी है
कोई देखिए गम खाय के गम खानी चीज़ बड़ी है
पाँच वर्ष के ध्रुव गये वन में
करी तपस्या बालापन में
उनको प्रभूजी मिल गये वन में
कोई देखिए गम खाय के गम खानी चीज़ बड़ी है
तुलसी दास कहे गणिका की
सुआ पढ़ाई गणिका तारी राखी द्रोपद लाज बनवारी
विष का प्याला पिलाय के मीरा को अमर कियो है
कोई देखिए गम खाय के गम खानी चीज़ बड़ी है
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