सावन गीत
हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी
हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लयी सारी रे हारी
कान मा कुण्डल झुमका बाली माथे मा बिंदिया निराली रामा
हरे रामा गले मा सोहे हार नार मतवाली रे हरी
कि हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लयी सारी रे हारी...
सिर धरे डलिया भारी चूडियो की जोड़ निराली
हरे रामा गलिन मा करत पुकार कोई तो पहेने चूड़ी रामा
कि हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लयी सारी रे हारी...
राधा ने टेर लगाई मनिहारी महल बुलायी रामा
कि हरे रामा ऐसी चुडिया पहनाओ पिया को लगे प्यारी रे हारी
कि हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लयी सारी रे हारी...
जब बइहा पकड़ पहेनावे हाँ हरी पीली सुनहरी चुडिया रामा
कि हरे रामा चौक पड़ी राधा प्यारी हँसे मनिहारी रे हारी
कि हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लयी सारी रे हारी...
By - S.S.Bhadouria
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