Sunday 2 September 2018

सावन गरजे भादव बरसे पवन चले पुरवाई रे ,सावन गीत ,Savan garje bhadv brse pvn chle purvai re

 

    | |  सावन  गीत  | | 

सावन गरजे भादव बरसे पवन चले पुरवाई रे 

कौन वृक्ष तरे भीगत ह्रवैहैं राम लखण दोनों भाई

आगे -आगे राम जात हैं पीछे लक्ष्मण भाई 

बीच जानकी अति बल सोहे सोभा वरनी न जाई 

सावन गरजे भादव बरसे पवन चले पुरवाई रे 

कहिके बिना मेरी सूनी अयोध्या केहि बिना चतुराई 

केहि बिना मेरी सूनी रसोइया ये दुख कहना समाई

राम बिना मेरी सूनी अयोध्या लखण बिना चतुराई 

सीता बिना मेरी सूनी रसोइया ये दुख कहा समाई

भीतर रोवै माता कौशिल्या बाहर भारत भाई 

पिता दशरथ ने प्राण तजे हैं केकयी मन पछिताई 

सावन गरजे भादव बरसे पवन चले पुरवाई रे

राम के आये भर गई अयोध्या लखण के आये चतुराई 

सीता के आये से भर गयी रसोइया ये सुख कहा समाई  

पर दशरथ जी मिलिहै न आई 

सावन गरजे भादव बरसे पवन चले पुरवाई रे


By - S.S.Bhadouria     



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