कीर्तन
जरा बंशी बजा दो मोहन
जरा बंशी बजा दो मोहन,
तेरी बंशी का सुना बड़ा नाम हैं।
यू रखने से क्या तुम्हें फायदा
और छिपने से क्या तुम्हें काम हैं।
बंशी बजाकर गाये चराकर,
गोकुल को आजाद करो।
इस कलयुग में होने वाले भक्त जनो को याद करो,
ये भारत तुम्हारा ही धाम है,
इसे देवता भी करते प्रणाम है।
यू रखने से क्या तुम्हें फायदा
और छिपने से क्या तुम्हें काम हैं।
मात पिता के कष्ट देखकर कंशासुर को मारा था,
लाखो दुष्टो का वध करके
भू का भार उतारा था।
अब भार तुम्हे भारी तमाम है
और भक्तो को रखना हराम है।
यू रखने से क्या तुम्हें फायदा
और छिपने से क्या तुम्हें काम हैं।
प्रभू की निंद्रा करने वाले जन्म यहाँ अब लेते है
सत गृन्थी की बात छोडकर अपने लेवचर देते है
करते खोटे से खोटे काम है
झूठी बातो से होती शाम है
यू रखने से क्या तुम्हे फायदा।
जरा बंशी बजा दो मोहन,
तेरी बंशी का सुना बड़ा नाम हैं।
यू रखने से क्या तुम्हें फायदा
और छिपने से क्या तुम्हें काम हैं।
By - S.S.Bhadouria
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