Monday, 27 July 2020

देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी | Dekhakar Ram ko janak nandni bag me bas khadi ki khadi rah gayi | कीर्तन | Ram Sita Bhajan | राम कीर्तन | राम भजन


  कीर्तन  

 देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 


देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 
राम देखा सिया को सिया राम को चार आँखे लड़ी की लड़ी रह गयी 
देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 
एक दिन घूमने को जनक पुर गये सब सखिया खडे देखती रह गयी 
देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 
राम लक्ष्मण के गुलरूप को सब की पलके खुली की खुली रह गयी 
देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 
देखा पहली सखी हँस की कहने लगी रच दिया है विधाता ये  जोडी सुघर पर धनुष कैसे तोडे गे बाले कुँवर पर 
देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 
एक ही बार में तडुका राक्षसी धरती पर वह गिरी की गिरी रह गयी 
देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी 
देखा दूजी सखी हँस के कहने लगी इनकी विद्या  वो बलवा नहीं जानते पर धनुष कैसे तोड़ेगे बाले कुँवर 
जब धनुष तोड बैठे श्री राम जी सबकी पलके खुली की खुली रह गयी 
देखकर राम को जनक नन्दनी बाग में बस खडी की खडी रह गयी। 


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