Wednesday, 21 August 2019

सूर्यवंश क्षत्रिय ( राजपूत ) पौराणिक साहित्य | सूर्यवंश का परिचय | सूर्यवंश का आरम्भ | सूर्यवंशीय क्षत्रिय

 क्षत्रिय ( राजपूत )

क्षत्रिय ( राजपूत ) चार सबसे बड़ी हिन्दू जातियों में दूसरी बड़ी जात हैं। ये युद्ध कला में पारंगत होते हैं और समाज की रक्षा करना इनका धर्म होता हैं।


पौराणिक साहित्य के अनुसार सूर्यवंश 


अनेक वंशों में सूर्यवंश ही सबसे विस्तृत एवं अपनी त्याग और तपस्वी आचरण से समस्त भूमण्डल में कीर्ति स्थापित करने वाला है।

  सूर्यवंश का परिचय  


    सूर्यवंश सृष्टि के आरम्भ से है। इस वंश का प्रथम राजा इक्ष्वाकु वैवस्वत मनु के पुत्र थे जो अयोध्या नगरी के प्रथम राजा हुए।इन्हीं इक्ष्वाकु से सूर्यवंशी
क्षत्रियो की उत्पत्ति हुई। इक्ष्वाकु के एक पुत्र मिथि ने मिथिला राज्य स्थापित किया। इनके एक भाई करूष से उत्तर के देशों में स्वामित्व स्थापित हुआ तथा एक भाई शयति के पुत्र अनंत के नाम सेअनर्त देश कहलाया। इनके पुत्र रवत ने द्वारिका नगरी को राजधानी बनाया इनके पाँचवे भाई नाभाण के पुत्र अंबरीष सप्तद्वीप के राजा हुए। इनके भाई नदिष्ट के वंश के विशाल राजा ने मिथिला के पास वैशाली नगर बसाया। वैवस्वत मनु के पुत्र सुधुम्न के तीन पुत्र उत्कल, गय और विशाल थे। उत्कल ने उड़ीसा, गय ने गया नाम के दो राज्य स्थापित किए। इक्ष्वाकु के १०० पुत्रों में से 25 पुत्र हिमांचल और विन्ध्याचल, दूसरे पश्चिम की ओर और शेष दक्षिण के राजा हुए।
    इक्ष्वाकु के बड़े पुत्र विकुक्षि, विकुक्षि के पुरंजय के अनयना तथा उनके पुत्र पृथु, पृथु के विश्वगंध जिनके चन्द्र, चन्द्र के युवनाश्व, युवनाश्व के श्रावास्त हुए जिन्होंने श्रावस्ती नगरी ( बिहार ) बसाई। इनके पुत्र वृहदश्व के कुवलयाश्व, कुवलयाश्व के बड़े पुत्र दृढ़ाश्व इनके हर्यश्व जिनके पुत्र निकुम्भ हुए। इसी श्रेणी में महान दानी सत्यग्रत राजा हरिश्चन्द्र हुए जिनके पुत्र रोहित ने शाहाबाद जनपद में रोहितश्वगढ़ बसाया। जिनके प्रपौत्र चम्प ने चम्पानगरी बसाई। इसी शाख में आगे सागर, राजा दिलीप उनके पुत्र भागीरथ हुए, जिनकी घोर तपस्या से गंगा जी भूतल पर आयी। इनके आगे अठारहवीं पीढ़ी में राजा रघु हुए जिनके बंशज रघुबंशी क्षत्रि हैं। इनके पुत्र 'अज ' हुए, अज के दशरथ और दशरथ के विश्वविख्यात महाराज रामचन्द्र हुए, जिनके बड़े पुत्र कुश से कुशवंश ( कछवाहा वंश ) और राठौर वंश चले। विभिन्न राजवंशो के मध्य सूर्यवंश सबसे लम्बा है। जब तक आर्य जाति का अस्तित्व रहेगा तब तक परम पावनी अयोध्या के प्रति श्रद्धा का लोप नहीं हो सकता।

 आदि इतिहास 


पौराणिक इतिहास से पता चलता है की सूर्यवंशी पहला राजा वैवस्वत मनु का बेटा इक्ष्वाक हुआ जिसकी राजधानी अयोध्या थी। इक्ष्वाक से 55 पीढ़ी बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचन्द्र ने अवतार लिया। रामचन्द्र जी के बड़े राजकुमार कुश की संतति कुशवाह वंश है। केशव दास जी ने अपनी प्रसिद्ध महाकाव्य 'रामचन्द्रिका' में लिखा है कि रामचन्द्र ने अपने विशाल साम्राज्य को आठ भागों में विभाजित करके अपने पुत्रों और भ्रातृजों में विभक्त किया था। अपने बड़े पुत्र कुश को कुशावती और लव को अवंतिका (उज्जैन) दी, भरत के पुत्रों में पुष्कल को पुष्करावती और तक्ष को तक्षशिला और लक्षमण के पुत्र अंगद को अंगद नगर और चन्द्रकेतु को चन्द्रावती का राजा बनाया। शत्रुध्न के पुत्र सुबाहु को मथुरा और शत्रुघात को अयोध्या का राजा बनाया था।  


 सूर्यवंशीय क्षत्रिय 
  • गहिलौत
  • कुशवाहा (कछवाहे)
  • सिसोदिया क्षत्रिय
  • श्रीनेत क्षत्रिय
  • दीक्षित क्षत्रिय
  • रघुवंशी क्षत्रिय
  • राठौर क्षत्रिय
  • निकुम्भ क्षत्रिय
  • नागवंशीय क्षत्रिय
  • बैस क्षत्रिय
  • बड़गूजर क्षत्रिय
  • गौड़ क्षत्रिय
  • सिकरवार क्षत्रिय
  • सूर्यवंशी क्षत्रिय
  • गौतम क्षत्रिय
  • बिसेन क्षत्रिय
  • रैकवार क्षत्रिय
  • झाला क्षत्रिय
  • बल्ल क्षत्रिय
  • गोहिल क्षत्रिय
  • लोहतमियां क्षत्रिय
  • भौंसला क्षत्रिय

कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ




कहाँ है राम राजा मंदिर ?
राजा रामचन्द्र जी का ओरछा के किला का अद्भुत रहस्य है। यहाँ राम राजा सरकार ओरछा मंदिर और महल के दर्शन आप भी कर सकते है। ओरछा के किले और मंदिर को इस नीचे दिये गये Video में देखें।




कहाँ हुआ था लव कुश का जन्म अनसुना रहस्य ?
उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में स्थित बिठूर में वाल्मीकि आश्रम है। वाल्मीकि आश्रम वह पवित्र स्थान माना जाता है जहाँ महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। और यही वह पवित्र स्थान है जहाँ सूर्यवंशी राजा रामचन्द्र के पुत्रों, लव और कुश को उनकी भर्या सीता ने जन्म दिया था। वर्तमान समय में कानपु ( कर्णपु ) का बिठूर उत्तर प्रदेश के प्रशिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। कानपुर के तपेश्वरी मंदिर में लव और कुश का कर्णछेदन हुआ था। महर्षि वाल्मीकि आश्रम और तपेश्वरी मंदिर को इस नीचे दिये गये Video में देखें।










1 comment: