सावन गीत
झूला पड़ा है सरकारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा सोने की थारी में जेवना बनाया
कि हरे रामा जेवै कृष्ण मुरारी
जेवावै राधा प्यारी रे हारी
कि अरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते ससुर बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते सास बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते जेठा बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते जिठनी बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते देवर बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते देवरानी बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी ...
कि हरे रामा ससुरे ते सजन बुलइबे
उनही संग राहिबे रे हारी
कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी
झुलावै राधा प्यारी रे हारी।
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