सावन गीत
बिना गुरु का चेला फिरे है अकेला रे हारी
कि हरे रामा बिना गुरु का चेला फिरे है अकेला रे हारी
कि हरे रामा धूनी रमाई जंगल माँ राम -राम रट लोरे हारी
कि हरे रामा बिना गुरु ज्ञान न आवे
ज्ञान से होत उजेला रे हारी कि
कि हरे रामा हाथ में भाला बगल मा सोटा
कि हरे रामा बातो का करत है झमेला फिरत है अकेला रे हारी
कि हरे रामा कमर कसे है करधनिया फिरत है अकेला
रे हारी
कि हरे रामा बिना गुरु का चेला फिरे है अकेला रे हारी।
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