सावन गीत
अबकी सजन सावन में आग लगेगी ये बदन में
अबकी सजन सावन में आग लगेगी ये बदन में
अगर मिल सकेंगे दो मन एक ही आँगन में
दो दिलों के बीच खड़ी कितनी दीवारे
कैसे मिले पिया प्रेम की पुकारें
चोरी छुपा के सजन मिल इतने बड़े घर में नहीं एक भी झरोखा
किस तरह हम देंगे दुनिया को धोखा
रातभर चला चलायेगे मस्त - मस्त पवन
मिले तेरे मेरे सुमार का ये साथ पूरा होगा
जब बहार आयेगी तोहाल बुरा होगा
आग लगाये गाये फूलो भरा मन
अबकी सजन सावन में आग लगेगी ये बदन में
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- कि अरे रामा नीचे बहे दरियाव ऊपर चले गाड़ी रे हारी
- कि अरे रामा आये न बिरन हमार कोन विधि जइबे रे हारी
- कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी झुलावै राधा प्यारी रे हारी
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- रिमझिम पड़े फुहार बदरिया झुकी आयी गोरिया
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