सावन गीत
परदेश गये है सवरिया
जारी -जारी वो काली बदरिया
परदेश गये है सवरिया
मत वरसो तू मेरी नगरिया
परदेश गये है सवरिया
काहे पिया -पिया शोर मचाये
मेरा नरम कलेजवा तड़पाये
मेरा मनवा जले कोई पास मचले है
ये कब तक सुनी डगरिया
परदेश गये है सवरिया
जइयो -जइयो री देश पिया के
कहना दुखड़े मेरे जिया के
कइहो रोवे अखियन
सोवे हुई आज पी की बदरिया
परदेश गये है सवरिया
Read more :-
- नन्ही नन्ही बुँदियारे सावन का मेरा झूलन
- सावन गरजे भादव बरसे पवन चले पुरवाई रे
- हरे रामा कृष्ण बने मनिहारी ओढ़ लयी सारी रे हारी
- कि अरे रामा नीचे बहे दरियाव ऊपर चले गाड़ी रे हारी
- कि अरे रामा आये न बिरन हमार कोन विधि जइबे रे हारी
- कि हरे रामा झूला पड़ा है सरकारी झुलावै राधा प्यारी रे हारी
- बिना गुरु का चेला फिरे है अकेला रे हारी
- रिमझिम पड़े फुहार बदरिया झुकी आयी गोरिया
- अबकी सजन सावन में आग लगेगी ये बदन में
- रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
- खुली हवा में डोले आज मेरा मन
No comments:
Post a Comment