सावन गीत
आयी बरखा बहार पड़े अँगना फूहार
आयी बरखा बहार पड़े अँगना फूहार
सइयाँ आके गले लगजा
एक तो बरखा आग लगायें
दूजे चले पुरवाईया
फिर तो भी सताए
जिया लहेरा के रह जाये
आयी बरखा बहार पड़े अँगना फूहार
लागे जिया के कोई न तू
है डर ना इजे पास ना
सूझे तेरे बिन क्या देखु सजनी
तू ही डोलेगा मन के अंगना
बजे चुपके चुपके बजे चुपके चुपके कंगना
आयी बरखा बहार पड़े अँगना फूहार
सइयाँ आके गले लगजा।।
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