Saturday, 7 December 2024

बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान, बनरा, Banna mere chanda ka tukda banni meri jan, Banna Banni Shaadi Geet

  बनरा 



बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान...  
गले बन्ना के हरवा सोहे 
उनके हरवा मे लटके हीरे लाल 
बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान... 
हाथ बन्ना के कंकन सोहे 
उनके घड़िया मे लटके हीरे लाल 
बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान...
अंग बन्ना के जामा सोहे 
उनके कुर्ते मे लटके हीरे लाल 
बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान...
शीश बन्ना के मोरी सोहे 
उनके झालर मे लटके हीरे लाल 
बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान...
पैर बन्ना के जूते सोहे 
उनके मोज़े मे लटके हीरे लाल 
बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान...
संग सोहे बन्नी का डोला 
उसके डोले मे लटके हीरे लाल 
बन्ना मेरे चाँद का टुकड़ा बननी मेरी जान। 


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Thursday, 14 November 2024

बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे, बनरा, Banna bulave bhabhi bhabhi re, Banna Banni Shaadi Geet

  बनरा 




बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे राम कसम सरमाये रे 
सर बन्ना के मोहरी सोहे 
उनकी झाझर पे लिखा भाभी-भाभी रे राम 
बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे ...
गले बन्ना के हरवा सोहे 
उनकी लड़ियों पे लिखा भाभी-भाभी रे राम 
बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे ...
तन बन्ना के जामा सोहे 
उनकी पटुका पे लिखा भाभी-भाभी रे राम 
बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे ...
बाजू बन्ना के घड़ियाँ सोहे 
उनकी कंगन पे लिखा भाभी-भाभी रे राम 
बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे ...
पैर बन्ना के जूते सोहे 
उनकी मोजों पे लिखा भाभी-भाभी रे राम 
बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे ...
सर बन्ना के मोहरी सोहे 
उनकी झाझर पे लिखा भाभी-भाभी रे राम 
बन्ना बुलावे भाभी-भाभी रे। 


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Sunday, 10 November 2024

छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है, बनरा, Shahar gali banna hote aana, Banna Banni Shaadi Geet

  बनरा 



छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे बेंदी बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ... 
छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ... 
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे हरवा बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
  छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे कँगन बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
 छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे अनगढ़ी बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
 छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे चूड़ियाँ बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
 छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे बाजूबंद बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
 छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे कमरबंद बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
 छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे पायल बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
 छिपे छिपे खड़े हो जरूर कोई बात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है ...
बन्ना कहे मुझे मुखड़ा दिखलाओ 
बन्नी कहे मुझे बिछुआ बनवाओ 
रात भर झगड़ा हुआ बड़ी मज़े की बात है ...
झगड़े में बीत गई रात है 
बन्ना और बन्नी की पहली मुलाकात है। 
 


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Wednesday, 6 November 2024

शहर गली बन्ना होते आना, बनरा, Shahar gali banna hote aana, Banna Banni Shaadi Geet

 बनरा 



 शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना...
जाना तो जाना बजजवा दुकानियाँ 
हमारे लिए साड़ी लेते आना 
शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना...
जाना तो जाना सुनर्वा दुकानियाँ 
हमारे लिए हरवा लेते आना 
शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना...
जाना तो जाना मोची दुकानियाँ 
हमारे लिए चप्पल लेते आना 
शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना...
जाना तो जाना मनिहारी दुकानियाँ 
हमारे लिए चूड़ियां लेते आना 
शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना...
जाना तो जाना तमोली दुकानियाँ 
हमारे लिए पान लेते आना 
शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना...
जाना तो जाना हलवाई दुकानियाँ 
हमारे लिए जलेबी लेते आना 
शहर गली बन्ना होते आना 
शहर गली बन्ना होते आना। 


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Sunday, 3 November 2024

बन्ना के दिल मे उदासी न मालूम बन्नी कैसी मिलेगी, बनरा, Banna ke dil me udasi na malum banni kaisi milegi, Banna Banni Shaadi Geet

बनरा 




 बन्ना के दिल मे उदासी न मालूम बन्नी कैसी मिलेगी ....

 न मालूम बन्नी पढ़ती मिलेगी 
दफ़्तर का काम करेगी न मालूम .... 
न मालूम बन्नी लड़ती मिलेगी 
सासु से रोज लड़ेगी न मालूम ....
न मालूम बन्नी गोरी मिलेगी 
बत्ती का काम करेगी न मालूम ....
न मालूम बन्नी काली मिलेगी 
काजल का काम करेगी न मालूम ....
बन्ना के दिल मे उदासी न मालूम बन्नी कैसी मिलेगी।



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Wednesday, 16 October 2024

हम काली कोयल हवे जाब बन्ना है सावले , बनरा, Hum kali koyal have jav banna hai savle, Banna Banni Shaadi Geet

 बनरा 


Marriage


हम काली कोयल हवे जाब बन्ना है सावले 
बन्नी जो पूछे हे राजा बन्ने अपना बाग़ दिखाओ 
हमरे बाग़ को क्या देखो बन्नी
 निम्बू लगे है चारो ओर हे प्यारे बन्ना 
हम काली कोयल हवे जाब बन्ना है सावले
बन्नी जो पूछे हे राजा बनरे आपन कुवा 
दिखलाओ 
हमरे कुवा को क्या देखो बन्नी कहेरा लगे चारो ओर 
बन्नी जो पूछे राजा हे राजा 
बन्ने अपना ताल दिखलाओं   
हमरे ताल को क्या देखो बन्नी 
धोबी लगे है चारो ओर 
हम काली कोयल होवी जाब बन्ना है सावले 
बन्नी जो पूछे राजा हे राजा 
बन्ने अपना महल दिखलाओं   
हमरे महल को क्या देखो बन्नी 
खिड़की लगी है चारो ओर 
हम काली कोयल होवी जाब बन्ना है सावले। 


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Saturday, 23 March 2024

कानपुर का इतिहास Kanpur's history

  कानपुर  


Kanpur


ब्रम्हांड का केंद्र 

ब्रम्हांड का केंद्र , क्रांति की धरा , कर्मयोगियों की औद्योगिक नगरी , कमल के धनी साहित्यकारों की कर्मस्थली वाला गौरवशाली शहर है कानपुर। वह कानपुर जिसके रक्त की हर बूंद स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई करती है।  वह कानपुर , जो आजाद हिंद फौज को पहली महिला कैप्टन लक्ष्मी सहगल देता है। वही कानपुर अब २२२ (222)साल का हो गया है जिसकी स्थापना २४ (24) मार्च १८०३ (1803) को हुई थी। 



मूल नाम 

सुप्रशिद्ध नगर कानपुर का नाम २० (20) बार बदला गया है। इसका मूल नाम 'कान्हपुर ' था। जन्माष्टमी के दिन पड़ी थी नींव ,इसलिए कहलाया कान्हपुर। १७७० (1770) में पहली बार गेब्रियल हार्पर ने CAWNPOOR कहकर सम्बोधित किया। इसका दस्तावेजों में जिक्र मिलता है। १९४८ (1948)में यह KANPUR कहा जाने लगा। 
इन नामों से भी जाना गया  : कान्हपुर , कर्णपुर , कन्हैयापुर 

कानपुर के १५ (15) परगन 

कानपुर ज़िले २४ मार्च १८०३ (24 मार्च 1803) को १५ (15) परगने मिलाकर बनाया गया था। ज़िले में उस समय  बिठूर ,शिवराजपुर ,डेरापुर ,घाटमपुर , भोगिनीपुर , सिकंदरा , अक़बरपुर , औरैय्या , कन्नौज , सलेमपुर , अमौली , कोढ़ा , साढ़ , बिल्हौर और जाजमऊ शामिल किए गए थे। 

कानपुर का इतिहास 

कानपुर शहर का मूल नाम 'कान्हपुर ' था। इस नगर की मूल उत्पत्ति का सचेंडी के राजा हिन्दू सिंह से या महाभारत काल के वीर कर्ण से संबध्द होने की कहानियों के बीच यह प्रमाणित है कि अवध के नवाबों के शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर ,पटकापुर , जूही तथा सिमामऊ गांवो से मिलकर बना था। 
जाजमऊ से बिठूर तक जंगल था। इसके बीच गंगा किनारे एक मोजा कान्हपुर है।  इतिहासकार बताते हैं कि सचेंडी के राजा हिंदू सिंह भादौ की अष्टमी को गंगा नहाने आया करते थे। तभी उन्हें यह रहने के अनुकूल स्थान समझ आया। राजा ने इसे आबाद करने की चर्चा की ,मंत्रियों और राजा के गुरु ने भी इसे उत्तम बताया जिसके बाद उसी दिन राजा ने आबादी की बुनियाद रखी। कन्हैया अष्टमी के दिन इसकी नींव पड़ने से नाम कान्हापुर पड़ा। राजा हिंदू सिंह ने रमईपुर के राजा घनश्याम सिंह चौहान को आबादी बसाने की जिम्मेदारी दी। इतिहासकार अनूप शुक्ला बताते हैं कि यहां ब्राह्मण , ठाकुर , बेहना , दरजी , मल्लाह और दूसरी जातियों के लोग रहने लगे। वह बताते हैं कि लाला दरगाही लाल वकील तवारीख -ए -जिला कानपुर १८७५ (1875 ) के प्रथम खंड में सचेंडी के राजा हिंदू सिंह द्वारा कानपुर को बसाने का उल्लेख है। कानपुर की स्थापना राजा कान्हदेव द्वारा किए जाने का वर्णन मिलता है। 




कलम के धनी साहित्यकारों की कर्मस्थली 

यहां कला , साहित्य , कविताओं के ऐसे धुरंधर रहे जिन्होंने वैचारिक क्रांति की न सिर्फ नींव रखी बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के विरोध का साहस भरा। 

क्रांति की धरा 

कानपुर क्रांति की धरा रही हैं फिर चाहे वो सत्तीचौरा घाट पर अंग्रेजों की लाशें बिछाने की बात हो या सत्तीचौरा घाट का इतिहास हो। यहां की माटी में ही स्वाधीनता की अलख जगाने वाले नायब और बेशकीमती हीरों ने जन्म लिया , जिनकी अभिव्यक्ति और दूरदर्शिता ने समाज को परतंत्रता का आइना दिखाया। अंग्रेजों ने न जाने कितने देशभक्तों को फांसी दी , कितनों को जेल में ठूंसा , लेकिन आजादी की लड़ाई का कारवां कभी थमा नहीं।  


देश भर में उद्योगों का जलवा 

औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले शहर कानपुर में एनटीसी - बीआइसी की मिलें बंद हो गईं , लेकिन चमड़ा उद्योग में कानपुर अग्रिम पंक्ति में है। 


ट्राम से मेट्रो तक का सफर 

प्रगति के ट्रैक पर तेजी से दौड़ रहे शहर का हुलिया बदल रहा है। कभी यहां ट्राम चलती थी , अब मेट्रो दौड़ रही है।  बिठूर , घंटाघर यहां की विशेषता बताते हैं। 


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