Sunday 3 November 2024

बन्ना के दिल मे उदासी न मालूम बन्नी कैसी मिलेगी, बनरा, Banna ke dil me udasi na malum banni kaisi milegi, Banna Banni Shaadi Geet

बनरा 




 बन्ना के दिल मे उदासी न मालूम बन्नी कैसी मिलेगी ....

 न मालूम बन्नी पढ़ती मिलेगी 
दफ़्तर का काम करेगी न मालूम .... 
न मालूम बन्नी लड़ती मिलेगी 
सासु से रोज लड़ेगी न मालूम ....
न मालूम बन्नी गोरी मिलेगी 
बत्ती का काम करेगी न मालूम ....
न मालूम बन्नी काली मिलेगी 
काजल का काम करेगी न मालूम ....
बन्ना के दिल मे उदासी न मालूम बन्नी कैसी मिलेगी।



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Wednesday 16 October 2024

हम काली कोयल हवे जाब बन्ना है सावले , बनरा, Hum kali koyal have jav banna hai savle, Banna Banni Shaadi Geet

 बनरा 


Marriage


हम काली कोयल हवे जाब बन्ना है सावले 
बन्नी जो पूछे हे राजा बन्ने अपना बाग़ दिखाओ 
हमरे बाग़ को क्या देखो बन्नी
 निम्बू लगे है चारो ओर हे प्यारे बन्ना 
हम काली कोयल हवे जाब बन्ना है सावले
बन्नी जो पूछे हे राजा बनरे आपन कुवा 
दिखलाओ 
हमरे कुवा को क्या देखो बन्नी कहेरा लगे चारो ओर 
बन्नी जो पूछे राजा हे राजा 
बन्ने अपना ताल दिखलाओं   
हमरे ताल को क्या देखो बन्नी 
धोबी लगे है चारो ओर 
हम काली कोयल होवी जाब बन्ना है सावले 
बन्नी जो पूछे राजा हे राजा 
बन्ने अपना महल दिखलाओं   
हमरे महल को क्या देखो बन्नी 
खिड़की लगी है चारो ओर 
हम काली कोयल होवी जाब बन्ना है सावले। 


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Saturday 23 March 2024

कानपुर का इतिहास Kanpur's history

  कानपुर  


Kanpur


ब्रम्हांड का केंद्र 

ब्रम्हांड का केंद्र , क्रांति की धरा , कर्मयोगियों की औद्योगिक नगरी , कमल के धनी साहित्यकारों की कर्मस्थली वाला गौरवशाली शहर है कानपुर। वह कानपुर जिसके रक्त की हर बूंद स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई करती है।  वह कानपुर , जो आजाद हिंद फौज को पहली महिला कैप्टन लक्ष्मी सहगल देता है। वही कानपुर अब २२२ (222)साल का हो गया है जिसकी स्थापना २४ (24) मार्च १८०३ (1803) को हुई थी। 



मूल नाम 

सुप्रशिद्ध नगर कानपुर का नाम २० (20) बार बदला गया है। इसका मूल नाम 'कान्हपुर ' था। जन्माष्टमी के दिन पड़ी थी नींव ,इसलिए कहलाया कान्हपुर। १७७० (1770) में पहली बार गेब्रियल हार्पर ने CAWNPOOR कहकर सम्बोधित किया। इसका दस्तावेजों में जिक्र मिलता है। १९४८ (1948)में यह KANPUR कहा जाने लगा। 
इन नामों से भी जाना गया  : कान्हपुर , कर्णपुर , कन्हैयापुर 

कानपुर के १५ (15) परगन 

कानपुर ज़िले २४ मार्च १८०३ (24 मार्च 1803) को १५ (15) परगने मिलाकर बनाया गया था। ज़िले में उस समय  बिठूर ,शिवराजपुर ,डेरापुर ,घाटमपुर , भोगिनीपुर , सिकंदरा , अक़बरपुर , औरैय्या , कन्नौज , सलेमपुर , अमौली , कोढ़ा , साढ़ , बिल्हौर और जाजमऊ शामिल किए गए थे। 

कानपुर का इतिहास 

कानपुर शहर का मूल नाम 'कान्हपुर ' था। इस नगर की मूल उत्पत्ति का सचेंडी के राजा हिन्दू सिंह से या महाभारत काल के वीर कर्ण से संबध्द होने की कहानियों के बीच यह प्रमाणित है कि अवध के नवाबों के शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर ,पटकापुर , जूही तथा सिमामऊ गांवो से मिलकर बना था। 
जाजमऊ से बिठूर तक जंगल था। इसके बीच गंगा किनारे एक मोजा कान्हपुर है।  इतिहासकार बताते हैं कि सचेंडी के राजा हिंदू सिंह भादौ की अष्टमी को गंगा नहाने आया करते थे। तभी उन्हें यह रहने के अनुकूल स्थान समझ आया। राजा ने इसे आबाद करने की चर्चा की ,मंत्रियों और राजा के गुरु ने भी इसे उत्तम बताया जिसके बाद उसी दिन राजा ने आबादी की बुनियाद रखी। कन्हैया अष्टमी के दिन इसकी नींव पड़ने से नाम कान्हापुर पड़ा। राजा हिंदू सिंह ने रमईपुर के राजा घनश्याम सिंह चौहान को आबादी बसाने की जिम्मेदारी दी। इतिहासकार अनूप शुक्ला बताते हैं कि यहां ब्राह्मण , ठाकुर , बेहना , दरजी , मल्लाह और दूसरी जातियों के लोग रहने लगे। वह बताते हैं कि लाला दरगाही लाल वकील तवारीख -ए -जिला कानपुर १८७५ (1875 ) के प्रथम खंड में सचेंडी के राजा हिंदू सिंह द्वारा कानपुर को बसाने का उल्लेख है। कानपुर की स्थापना राजा कान्हदेव द्वारा किए जाने का वर्णन मिलता है। 




कलम के धनी साहित्यकारों की कर्मस्थली 

यहां कला , साहित्य , कविताओं के ऐसे धुरंधर रहे जिन्होंने वैचारिक क्रांति की न सिर्फ नींव रखी बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के विरोध का साहस भरा। 

क्रांति की धरा 

कानपुर क्रांति की धरा रही हैं फिर चाहे वो सत्तीचौरा घाट पर अंग्रेजों की लाशें बिछाने की बात हो या सत्तीचौरा घाट का इतिहास हो। यहां की माटी में ही स्वाधीनता की अलख जगाने वाले नायब और बेशकीमती हीरों ने जन्म लिया , जिनकी अभिव्यक्ति और दूरदर्शिता ने समाज को परतंत्रता का आइना दिखाया। अंग्रेजों ने न जाने कितने देशभक्तों को फांसी दी , कितनों को जेल में ठूंसा , लेकिन आजादी की लड़ाई का कारवां कभी थमा नहीं।  


देश भर में उद्योगों का जलवा 

औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले शहर कानपुर में एनटीसी - बीआइसी की मिलें बंद हो गईं , लेकिन चमड़ा उद्योग में कानपुर अग्रिम पंक्ति में है। 


ट्राम से मेट्रो तक का सफर 

प्रगति के ट्रैक पर तेजी से दौड़ रहे शहर का हुलिया बदल रहा है। कभी यहां ट्राम चलती थी , अब मेट्रो दौड़ रही है।  बिठूर , घंटाघर यहां की विशेषता बताते हैं। 


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Wednesday 13 March 2024

आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे, बनरा, Aaj Mera Banna Sasural Chala Re, Banna Banni Shaadi Geet

  बनरा 


Marriage



दोनों हंसो की जोड़ी (कार ) द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
शर बन्ना के मौरी सोहे 
अपनी मौरी को लेकर साथ चले हो 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
दोनों हंसो की जोड़ी द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
तन बन्ना के जामा सोहे 
अपनी जामे को लेकर साथ चले हो 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
 दोनों हंसो की जोड़ी द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
गले बन्ना के हरवा सोहे 
अपनी हरवे को लेकर साथ चले हो 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
दोनों हंसो की जोड़ी द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
कलाई बन्ना के घडिया सोहे 
अपनी घडिया को लेकर साथ चले हो 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
दोनों हंसो की जोड़ी द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
हाथ बन्ना के अँगूठी सोहे 
अपनी अँगूठी को लेकर साथ चले हो 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
दोनों हंसो की जोड़ी द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
पैर बन्ना के जूते सोहे 
अपनी जूते को लेकर साथ चले हो 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे ...
दोनों हंसो की जोड़ी द्वार खड़ी रे ... 
आज मेरा बन्ना ससुराल चला रे। 


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Saturday 9 March 2024

बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को, बनरा, Banna Le Lo Hath Me Kitab Chle Jao Padhne Ko, Banna Banni Shaadi Geet

  बनरा 


Marriage




बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के पापा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के नाना मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के ताऊ मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के फूफा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के चाचा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के मौसा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के जीजा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के मामा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को ... 
बन्ना के बाबा मास्टर लगवावे 
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना ले लो बगल में किताब चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना बन्नी को ले लो साथ चले जाओ पढ़ने को ...
बन्ना लेलो हाथ में किताब चले जाओ पढ़ने को। 


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Tuesday 13 February 2024

आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ, बनरा, Aaj Hamare Banna Dhanush Uthae Laihao, Banna Banni Shaadi Geet

 बनरा 


 Marriage



आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
भइया को साथ लाना भाभी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
बाबा को साथ लाना दादी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
जीजा को साथ लाना जीजी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
मामा को साथ लाना मामी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
मौसा को साथ लाना मौसी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
ताऊ को साथ लाना ताई से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
पापा को साथ लाना मम्मी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
भइया को साथ लाना भाभी से आज्ञा लेके 
बन्नी को ब्याह लइहौ ... 
आज हमारे बन्ना धनुष उठाए जइहौ
बन्नी को ब्याह लइहौ ...
बन्नी को ब्याह लइहौ ...। 


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Friday 9 February 2024

बन्ना तुम रोज पढ़ने को जाया करो, बनरा, Banna tum roj padne ko jaya kro, Banna Banni Shaadi Geet

  बनरा 


Marriage



बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो 
बनना बाबा के कमरे में जाया करो 
बनना दादी को पढ़कर सुनाया करो 
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो ...
बनना पापा के कमरे में जाया करो 
बनना मम्मी को पढ़कर सुनाया करो 
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो ...
बनना भईया के कमरे में जाया करो 
बनना भाभी को पढ़कर सुनाया करो 
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो ...
बनना जीजा के कमरे में जाया करो 
बनना दीदी को पढ़कर सुनाया करो 
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो ...
बनना फूफा के कमरे में जाया करो 
बनना बूआ को पढ़कर सुनाया करो 
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो ...
बनना ताऊ के कमरे में जाया करो 
बनना ताई को पढ़कर सुनाया करो 
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो ...
बनना तुम रोज पढ़ने को जाया करो। 



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